एक बार की बात है, दूर, बहुत दूर परीलोक में, एक राजा अपनी तीन बेटियों के साथ एक खूबसूरत महल में रहता था। लेकिन राजा को लगा कि उसके सिर पर जो मुकुट है, वह इतना भारी है कि उसे संभालना मुश्किल है: वह शासन करते-करते थक गया था। इसलिए उसने फैसला किया कि वह अपनी बेटियों में से एक को रानी बनाएगा ताकि वह देश पर शासन कर सके और उसे अब राजा बनकर न रहना पड़े।
“लेकिन मैं अपनी तीन बेटियों में से किसे चुनूं?” राजा ने सोचा। फिर उसे एक विचार सूझा। उसने तय किया कि जो भी बेटी उससे सबसे ज्यादा प्यार करती है, वही नई रानी होगी। बिना समय गंवाए उसने अपनी तीनों बेटियों को अपने पास बुलाया।
“बताओ, मेरी प्यारी बड़ी बेटी, तुम मुझसे कितना प्यार करती हो?” उसने जिज्ञासा से पूछा।
“पिताजी, मैं आपसे उतना प्यार करती हूं जितना सोने से करती हूं!” उसकी बड़ी बेटी ने कहा।
“यह तो बहुत अच्छी बात है,” राजा ने संतोष से मुस्कुराते हुए उत्तर दिया। “और तुम मुझसे कितना प्यार करती हो, मेरी प्यारी मंझली बेटी?”
“पिताजी, मैं आपसे उतना ही प्यार करती हूं जितना कि रत्नों और दुर्लभ जवाहरात से करती हूं!”
"यह भी बहुत बढ़िया बात है। और तुम, मारिया, तुम मुझसे कितना प्यार करती हो?" राजा ने सबसे छोटी राजकुमारी की ओर देखते हुए पूछा।
"प्यारे पिताजी, मैं आपसे उतना ही प्यार करती हूं जितना नमक से करती हूं," मारिया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। लेकिन उसके पिता को उसका जवाब पसंद नहीं आया।
"नमक?!" राजा ने गुस्से से दोहराया। "साधारण नमक जो हर गरीब के पास होता है! क्या तुम्हें मेरी इतनी ही कद्र है?! मेरी नजरों से दूर हो जाओ और तभी वापस आना जब नमक, सोने या बेशकीमती रत्नों से अधिक कीमती हो…