बहुत समय पहले की बात है, किसी दूर देश में एक भव्य महल था, जिसमें एक राजा, एक रानी और उनका बेटा, युवराज रहते थे।
राजा और रानी अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे और राजकुमार भी दिल का बहुत दयालु था - वह हमेशा दूसरों की परवाह करता था। वह माली, रसोइए और अन्य सेवकों से भी दो-चार मीठी बातें करने के लिए समय निकाल ही लेता था। इसी कारण सब उसे प्यार करते थे और पूरे राज्य में लोग सुख से रहते थे।
समय बीतता गया और राजकुमार के विवाह की उम्र हो गई। लेकिन उसे अभी तक कोई ऐसी राजकुमारी नहीं मिली जो उसे पहली ही नज़र में भा गई हो। यह देखकर राजा और रानी चिंता करने लगे। उन्होंने राजकुमार की मुलाकात विभिन्न राजकुमारियों से करवाई, पर राजकुमार को उनमें से कोई भी पसंद नहीं आई। फिर भी राजा और रानी ने हार नहीं मानी और ज़्यादा कोशिश करने का निश्चय किया।
एक दिन राजा और रानी ने राजकुमार से कहा, “प्यारे बेटे, हमने पूर्वी राज्य की एक सुंदर राजकुमारी को महल में भोज के लिए बुलाया है। वह कल यहाँ आ रही है। शायद वह तुम्हें पसंद आ जाए।” माता-पिता की आँखों में आशा की चमक थी। राजमहल में उनके स्वागत में एक शानदार दावत का आयोजन हुआ। जितनी तरह के पकवान तुम सोच सकते हो, उतनी तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए गए। वहाँ तो यूनिकॉर्न जैसी धारियों वाली आइसक्रीम भी थी!
अगले दिन दोपहर को महल के सामने एक सुंदर, सजा हुआ रथ आकर रुका। रथ के भीतर से घंटियों जैसी मधुर हँसी सुनाई दी। फिर उस रथ से एक राजकुमारी उतरी जिसके सुनहरे बाल थे और सुंदर चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी।
महल पहुँचते ही उत्साह में वह राजकुमारी सीधे लॉन से होती हुई दौड़ी और फूलों की क्यारियों…