दूसरी मशीनों के बीच में छुपी एक लाल खुदाई करने वाली मशीन, बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी के गेट के सामने चुपचाप खड़ी थी। उसके सामने वाले शीशे पर ‘स्टीव’ लिखा हुआ था, तो वह भी ख़ुद को स्टीव कहने लगा।
लोग जानते थे कि यह उसके चालक का नाम था, लेकिन हमारा स्टीव तो खुद एक छोटी खुदाई करने वाली मशीन था और उसे इन सब छोटी-छोटी बातों का ज़्यादा पता नहीं था। और अगर होता भी, तो वह यह जानकर बहुत खुश होता कि उसका और उसके चालक का नाम एक ही है। यह कितना मज़ेदार संयोग था!
खुदाई करनेवाला स्टीव बाकी मशीनों से थोड़ा छोटा था, और अगर वह खुशी से चमक नहीं रहा होता, तो वह बड़ी मशीनों के बीच शायद दिखता भी नहीं। मगर वह अलग ही चमकता था।
चालक स्टीव ने उसे अंदर-बाहर से अच्छे से धोकर चमका दिया था और उसके दरवाज़ों पर एक नया चमचमाता स्टिकर चिपका दिया था। इसका केवल एक ही मतलब था: आखिरकार, अब काम शुरू होने वाला है!
इसीलिए खुदाई करनेवाला स्टीव पिछले कुछ दिनों से अपने हाथ हिला-हिलाकर पूरे जोश में इधर-उधर देख रहा था। उसे बेसब्री से उस पल का इंतज़ार था जब चालक आएँगे, अपनी मशीनें शुरू करेंगे और काम शुरू करेंगे।
पूरी सर्दियाँ खुदाई करनेवाला स्टीव गैराज में था। ऐसा नहीं था कि सर्दियों में खुदाई करने वालों की ज़रूरत नहीं थी। बस वह दूसरों से थोड़ा छोटा था और उनके जितना ताकतवर भी नहीं था।
उसने आख़िरी बार पतझड़ के मौसम में काम किया था। तब मिट्टी सख़्त होना शुरू हो गई थी और उसे जमी हुई मिट्टी खोदने में मुश्किल हो रही थी। इसलिए चालक स्टीव ने उसे सर्दियों के लिए बंद कर दिया और खुदाई करनेवाला स्टीव ठंड के महीनों में लंबी नींद में चला गया।
मगर अब वह पूरी तरह…