Tereza Sebesta
एक नदी
मिलिए एक दोस्ताना नदी से, सुनिए इसकी कहानी और इसके साथ गाँवों-खेतों से होते हुए इसके सफ़र पर चलिए। यह शांत और सुंदर कहानी बच्चों को प्रकृति के जल चक्र के बारे में सिखाने के लिए एकदम सही सोने के समय के लिए कहानी है।
सर्दियों का आलसी सूरज आसमान में उदय हुआ। उसने अपनी बांहें फैलाईं और लकड़ी के एक छोटे घर की ओर देखा। घर पर एक पानी की टोंटी लगी थी और उस पर एक छड़ी जैसी लटकी हुई बर्फ की बूंद अभी-अभी आकर
“सुप्रभात,” लटकी हुई बर्फ की बूंद ने अपनी आंखें खोलते ही खुशी से कहा।
नल की टोंटी आवाज सुनकर थोड़ी हिली और नींद में फुसफुसाई: “क्या हो रहा है? तुम यहां कैसे पहुंची?”
“मैं आखिरकार यहां पहुंच ही गई हूं! क्या तुम्हें मेरा इंतजार नहीं था?” लटकी हुई बर्फ की बूंद ने पूछा। वह बहुत अपमानित महसूस कर रही थी। उसने धूप की वजह से आंखें झपकाईं ।
“ठीक है, मुझे दिख रहा है कि तुम यहां हो,” नल की टोंटी ने जम्हाई लेते हुए कहा, “लेकिन क्या तुम नहीं जानती कि सर्दियां लगभग खत्म हो गई है? तुम बहुत देर से आई हो। और सर्दी का मजा उठाने से रह
"यह सच नहीं हो सकता!" ठंडी धातु में गहराई से घुसने की कोशिश करते हुए लटकी हुई बर्फ की बूंद चिल्लाई। "मैं तो अभी-अभी आई हूं! तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बुलाया? मैं तो सर्दियों का बेसब्री से इंतजार कर रही थी!"
"तुम बहुत देर तक सोई रहीं, अब तो नींद से जागो। तुम न जाने कब से बस सो ही रही हो," आसमान से सूरज की आवाज आई। "आज, मैं अभी भी थोड़ा थका हुआ हूं और चमकने का मन नहीं कर रहा है। लेकिन कल मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि वास्तव में गर्मी क्या होती है। सर्दी के आखिरी दिन का आनंद ले लो!" और सूरज मुस्कुराया।
चिंतित लटकी हुई बर्फ ने महसूस किया कि उसके माथे पर से दो बूंदें बहती हुई