एक बार की बात है, एक बूढ़ा, चिड़चिड़ा शेर था जो पूरे जंगल पर राज करता था। जब वह दहाड़ता, तो उसकी आवाज़ पूरे राज्य में गूँजती। इससे जंगल में रहने वाले सभी जानवरों को यह सूचना मिल जाती कि वे सावधान हो जाएं क्योंकि शेर अपनी रोज़ की सैर पर निकला है। अगर कोई नहीं छिपता तो शेर के तीखी दांतों से चबाए जाने का उसे ख़तरा रहता।
आज, हमेशा की तरह, दोपहर का भोजन के बाद शेर बाओबाब के पेड़ के नीचे सो रहा था। मगर, इस बार वह एक छोटे से चूहे के बिल के ऊपर सो गया था, जिसपर उसने ध्यान नहीं दिया था।
जब चूहा बिल से बाहर निकला, तो गलती से उसकी पूँछ शेर की नाक पर गुदगुदी कर बैठी! शेर उठ गया और इतनी ज़ोर से गुर्राया कि धरती काँप उठी। जब उसने छोटे चूहे को देखा, उसने तुरंत अपने बड़े से पंजे में उसे दबोच लिया।
“ए छोटे से खुजली वाले चूहे, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी दोपहर की नींद ख़राब करने की!” वह गरजा।
वह इतने गुस्से में था कि उसने तय किया वह चूहे को खा जाएगा। अगर वह उसे जाने देता, तो वह जंगल के सारे जानवरों के सामने मज़ाक का पात्र बन कर रह जाता। फिर कोई उससे उस उसकी गर्जन से नहीं घबराता।
“रुक जाओ, कृपा कर के रुक जाओ,” शेर के पंजों के बीच में से एक तीखी आवाज़ आई। “मुझे खा कर तुम्हें क्या मिलेगा? सोचो जरा! मैं तो तुम्हारे इतने बड़े पेट के किसी कोने में खो जाऊँगा। तुम्हें मैं महसूस भी नहीं होऊंगा। पर अगर आज तुम मुझे जाने दो, तो शायद भविष्य में मैं तुम्हारे किसी काम आ जाऊँ,” छोटा चूहा गिड़गिड़ाया। “दया करो!” वह अपनी तीखी आवाज़ में बोला।
शेर ने उत्सुकता से उसकी बात…