क्या तुम किसी ऐसे को जानते हो जिसकी नाक पर छोटी-छोटी झाइयाँ हों? या आपके गालों पर झाइयाँ हों? यह कहानी है झाइयों की शुरुआत की।
बहुत समय पहले की बात है। एक जोड़ा एक बहुत ही सुंदर महल में रहता था। वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। उनके पास सब कुछ था लेकिन फिर भी, उनके दिल में एक खालीपन था। वे बहुत समय से एक बच्चे की चाह कर रहे थे, लेकिन बार-बार कोशिश करने के बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हुई।
साल बीतते गए, और यह दुख धीरे-धीरे बहुत गहरा होता गया। उन्होंने महल से बाहर निकलना बंद कर दिया, क्योंकि वे बाहर खेलते-कूदते बच्चों को देखकर और दुखी हो जाते थे। उन्होंने महल के बड़े-बड़े दरवाज़े बंद करवा दिए और खिड़कियों पर मोटे पर्दे टांग दिए, ताकि सूरज की एक किरण भी अंदर न आ सके। धीरे-धीरे, उन्हें पूरी दुनिया से डर लगने लगा।
एक दिन, महल के बड़े फाटक पर किसी ने दस्तक दी। उन्होंने झाँक कर देखा तो वहाँ एक झुकी हुई बूढ़ी औरत खड़ी थी। उसके हाथ में एक टोकरा था और वह गिड़गिड़ा रही थी,
“महाराज, ये स्ट्रॉबेरी ले लीजिए, एक बूढ़ी गरीब औरत की मदद हो जाएगी। आप पछताएँगे नहीं। देख रहे हैं, कितनी लाल-लाल हैं ये? इन्हें सूरज ने इन्हें चूमा है।”
आदमी थोड़ा घबरा गया। उसका दिल तो अच्छा था, लेकिन उसे किसी अनजान चीज़ से डर लगता था। उसने और उसकी पत्नी ने ज़िंदगी में कभी स्ट्रॉबेरी नहीं देखी थी। वो ध्यान से फल को देखने लगा: वह छोटी और लाल थीं और उन पर भूरे रंग के बीज थे। उन्हें देखकर तो वो बिल्कुल स्वादिष्ट नहीं लग रही थीं।
आदमी बस दरवाज़ा बंद करने ही वाला था कि बूढ़ी औरत बोल उठी: “साहब, मुझे पता है कि आपको किस बात…