शाम के समय बाहर ठंडी और तेज़ हवा चल रही है। कितना अच्छा लगता है जब मैं मुलायम पंखों वाली रजाई में खुद को लपेट लेती हूँ। अब मैं अपनी आँखें बंद करने वाली हूँ और सुनूंगी कि कैसे पूरा गाँव धीरे-धीरे नींद में डूब रहा है। कोने में रखा लकड़ी का देसी अलाव मेरा साथ देगा। मुझे आग की नरम-नरम लपटों की आवाज़ सुनना बहुत अच्छा लगता है। लपटें खुशी से उछल रही हैं, और कभी-कभी कोई लकड़ी चटकती है, जैसे कोई छोटा धमाका हुआ हो।
हमारा लकड़ी का बना पुराना घर हर रात हल्की-सी आह भरता है – आखिर वो बहुत पुराना जो है। ऊपर की लकड़ियों में इधर-उधर दीमक अपनी कतरन का काम कर रही है। उसी आवाज़ से हमारी बिल्ली की नींद खुल जाती है। वो पीठ सीधी करती है और खिड़की की दहलीज़ से नीचे कूदती है। जैसे ही वो ज़मीन पर उतरती है, फर्श चरचराता है। फिर वो जल्दी से भागकर अलाव के पास जाती है, क़ालीन पर गोल-मटोल होकर लेटती है, आँखें बंद करती है और सुकून से आवाज़ करने लगती है।
आलाव के ऊपर कुछ सूखी जड़ी-बूटियाँ टंगी हैं, जो गर्म हवा में धीरे-धीरे सरसराती हैं। वहाँ नींबू बाम, सेज और पुदीना है – हमारे परिवार ने ये कुछ दिन पहले ही तोड़े थे। अब ये अच्छी तरह सूख गए हैं। कल हम कुछ और तोड़ेंगे, और फिर लौटकर गरमा-गरम खुशबूदार चाय बनाएंगे। उसमें हम ताज़ा शहद मिला सकते हैं – जो हमारी प्यारी दादी माँ ने पास के घर से भेजा है। कितना मज़ा आएगा!
हमारे लकड़ी के घर के बिलकुल पास, दादी के बाहरी शेड से ठक-ठक की आवाज़ें आ रही हैं। दादी हर शाम को कालीन बुनती हैं। आपको उनका करघा देखना चाहिए! यह एक बड़ा लकड़ी का यंत्र है, जो…