बहुत-बहुत समय पहले की बात है, जब हर परिवार अपनी ज़रूरत का खाना अपने छोटे खेत में ही उगाता था। ऐसा ही एक किसान था, जिसका नाम सान था। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। सान ने तय कर लिया था कि वह अपने परिवार के लिए दुनिया के सबसे अच्छे अनाज और सब्जियाँ उगाएगा।
एक दिन वह अपने खेत में गया। उसने ज़मीन को अच्छे से खोदा, उसमें बीज बोए और अच्छे से पानी भी डाला। फिर वह पूरे दिन इंतज़ार करता रहा, यह देखने के लिए कि बीज कब ज़मीन से बाहर निकलेंगे। लेकिन चाहे वह कितना भी ध्यान से देखे, कुछ होता ही नहीं दिखा।
अगली सुबह वह फिर खेत में गया और बीजों को फिर से अच्छे से पानी दिया। फिर वह खेत के किनारे बैठ गया और देखने लगा कि बीज कब उगेंगे। लेकिन अब भी कुछ नहीं हुआ। तीसरे दिन जाकर ज़मीन से कुछ छोटे पत्ते बाहर निकले। लेकिन सान तो अब तक अधीर हो गया था। उसे लगा कि बीज बहुत धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। वह सोचने लगा, इतनी सुस्त बीजों से दुनिया की सबसे अच्छी सब्जियाँ कैसे उगेंगी? वह खेत में आगे-पीछे टहलने लगा और सोचने लगा कि उन्हें जल्दी कैसे उगाया जाए।
"मुझे तरीका मिल गया!" सान ने ज़ोर से कहा।
उसके परिवार ने पूछा कि उसका आइडिया क्या है, लेकिन सान ने कुछ नहीं बताया। “हमारी सब्जियाँ सबसे अच्छी होंगी,” उसने गर्व से कहा और संतोष के साथ सोने चला गया। हर दिन की तरह, सूरज उगते ही मुर्गा बांग देने लगा। आमतौर पर सान थोड़ी देर तक अपने गर्म बिस्तर में पड़ा रहता था, लेकिन उस सुबह तो वह मुर्गे की बांग सुनने से पहले ही उठ गया था। सूरज तो अभी पहाड़ों के पीछे से झाँक ही…