बहुत समय पहले, एक बार ऐसा हुआ कि लोग पूरी तरह से भूल गए कि उन्हें एक दूसरे के साथ दयालुता और अच्छाई से पेश आना चाहिए। इसके बजाय, लोग गुस्सैल और क्रूर हो गए। परिस्थिति इतनी बिगड़ गई कि लगा धरती पर कहीं अच्छाई बची ही नहीं है… सिवाय नूह और उसके परिवार के।
नूह को भी अपने हिस्से की बातें, ईर्ष्या और ख़राब स्वभाव का सामना और अनुभव करना पड़ता, मगर वह कभी उसका बदला बुराई से नहीं चुकाता। वह हमेशा वही करने की कोशिश करता जो सही होता और लोगों की मदद करता। यही उसने अपने बेटों को भी वही करना सिखाया।
एक दिन, नूह जब घर लौटा तो उसका मन अच्छा नहीं था। पूरी शाम उसने डकहा था कि उसके दोस्त कितनी बेइज़्ज़ती से अपनी पत्नियों से व्यवहार कर रहे थे और उनके बारे में भला बुरा बोल रहे थे। उसने उन्हें ऐसा करने से रोकने की बहुत कोशिशें कीं और उन्हें समझाया भी, मगर उनपर कोई असर नहीं हुआ।
“जिस ईश्वर पर हम विश्वास करते हैं उन्होंने हमें भला करना और लोगों की मदद करना सिखाया है। क्या तुम नहीं जानते कि हिंसा से किसी का भला नहीं होता है?” उसने हमेशा की तरह कहा, मगर किसी ने उसकी एक ना सुनी।
जब वह अपने बिस्तर पर लेटा, तो नूह सोच में पड़ गया कि वह और क्या कर सकता है। यह कैसे मुमकिन था कि दुनिया में इतनी बुराई फैल गई थी? आखिरकार जब वह किसी तरह सोया, उसने एक सपना देखा जिसमें ईश्वर स्वयं उससे बात कर रहे थे। नूह ने देखा कि जो लोग बुराई फैलाने के अलावा और कुछ नहीं करते उनका क्या अंजाम होगा। उसने भारी बारिश देखी। उसके सपने में इतनी तेज़ बारिश हुई और इतनी लंबे समय तक कि बारिश के पानी से पूरी…