घंटी बजी। दोपहर के भोजन का समय हो गया था। अबी और उसकी सहपाठियों ने अपनी किताबें समेटीं और प्रांगण को पार करते हुए भोजनालय में पहुंचीं। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, एक मनमोहक खुशबू ने उनका स्वागत किया।
“यम्मी! यह तो स्पॉन्ज पुडिंग और कस्टर्ड की खुशबू लग रही है, मेरे पसंदीदा!” अबी के स्वर से खुशी झलक रही थी।
यह सच था। हालांकि ऐसा कोई भी व्यंजन नहीं था जो उसे नापसंद हो, लेकिन स्पॉन्ज पुडिंग और कस्टर्ड उसे सबसे ज्यादा पसंद थे। जब वह बीमार होती थी और उसे बिस्तर पर लेटे रहना पड़ता था, तो उसकी मां उसे खुश करने के लिए हमेशा कस्टर्ड बनाती थी, और उसके जन्मदिन पर तो बनता ही था।
“स्कूल की यह पुडिंग मेरी मां की पुडिंग जितनी ही अच्छी है,” अबी ने प्याले के किनारों से कस्टर्ड की आखिरी परत खुरचते हुए सोचा। दोबारा लेने की उम्मीद में वह फिर से कतार में जाकर खड़ी हो गई। अंत में उसे तीसरी बार भी मिला, हालांकि रसोइये ने उससे कहा कि पहले दूसरे बच्चों को ले लेने दो।
पांचवीं कक्षा के कुछ लड़कों ने यह बात सुनी और हंसने लगे। उनमें से एक ने चिल्लाते हुए कहा:
“तुम्हें अब और नहीं मिलेगा, वरना तुम पुडिंग की तरह लगने लगोगी। देखो तो खुद को!” अबी ने उसे चिढ़ाते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली और शर्मिंदगी महसूस करते हुए अपने दोस्तों के साथ बाहर भाग गई। उस लड़के ने जो कहा था, वह उसे अगले दो दिनों तक परेशान करता रहा, लेकिन उसने इस बारे में किसी से बात नहीं की। जब वह तीसरे दिन स्कूल से घर आई, तो वह सीधे किचन में गई जहां उसकी मां चाय के लिए पैनकेक बनाने में व्यस्त थीं, और जो हुआ था, उसके बारे में उन्हें बताया। वह यह सोचकर परेशान…